चैक अनादरण की शिकायत :-

Negotiable Instruments Act 1881 की धारा 138 के तहत प्रक्रिया

आज के डिजिटल युग में भी चैक का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। हालांकि, कभी-कभी चैक बाउंस हो जाने की समस्या सामने आती है। ऐसे में, कानून द्वारा चैक धारक को संरक्षण प्रदान करने के लिए निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 लागू होती है।


क्या है धारा 138 ?

धारा 138 के तहत, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर या लापरवाही से अपर्याप्त धनराशि के साथ चैक जारी करता है, तो उसे दो साल तक के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

चैक बाउंस होने पर क्‍या करें ?

चैक बाउंस होने पर सबसे पहले, चैक धारक चैक जारीकर्ता को एक लिखित नोटिस भेजना होगा | नोटिस में बाउंस हुए चैक की जानकारी, भुगतान की मांग और यदि राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो धारा 138 के तहत कार्यवाही करने की चेतावनी शामिल होनी चाहिए |नोटिस को पंजीकृत डाक से या व्यक्तिगत रूप से दिया जा सकता है. यदि नोटिस मिलने के 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो आप निकटतम मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक शिकायत दर्ज करवा सकते हैं|

 

शिकायत दर्ज कब करें ?

• चैक जारी होने के 3 महीने के भीतर बैंक में प्रस्तुत करें।

• यदि चैक बाउंस होता है, तो बैंक से “बाउंस मेमो” प्राप्त करें।

• चैक बाउंस होने की दिनाँक से 30 दिन के भीतर एक लिखित नोटिस चैक जारीकर्ता को उसके रजिस्टर्ड पत्ते पर भेजना अनिवार्य हैं |

• नोटिस पंजीकृत डाक या स्पीड पोस्ट से भेजें|

• चैक जारीकर्ता को 15 दिन का नोटिस भेजें। नोटिस में भुगतान की मांग और धारा 138 के तहत कार्रवाई की चेतावनी शामिल होनी चाहिए।

• यदि 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं होता है, तो चैक के धारक को खुद या वकील के माध्यम से संबंधित मजिस्ट्रेट के पास शिकायत दर्ज करें।


शिकायत दर्ज करने के लिए किन-किन दस्तावेजो की आवश्यकता होगी ?

• बाउंस हुआ मूल चैक ( ORIGINAL CHEQUE )

• बैंक द्वारा जारी “बाउंस चैक का रिटर्न मेमो” ( RETURN MEMO )

• चैक जारीकर्ता को भेजे गए नोटिस की एक छाया प्रति ( FOTO COPY )

• शिकायतकर्ता का पहचान पत्र ( ADAHAR CARD)

• डाक की मूल रसीद

• रजिस्ट्री की डिलीवरी रिपोर्ट ( ONLINE DELIVERY REPORT )

• अन्य प्रासंगिक दस्तावेज (यदि कोई हो)

Note :-

कोर्ट में शिकायत दर्ज होने के बाद, चैक जारीकर्ता को सम्मन जारी किया जाएगा. सुनवाई के दौरान, चैक धारक को यह साबित करना होगा कि चैक वैध था और भुगतान न होने के कारण बाउंस हुआ है | चैक जारीकर्ता को खुद का बचाव करने का मौका दिया जाएगा|

धारा 138 के क्या लाभ हैं ?

• चैक धारक को शीघ्र न्याय मिलता है।

• चैक जारीकर्ता को दंडित किया जाता है। दंड के रूप मे उसे चैक मे लिखी राशि का दुगुना चुकाना होगा और उसे सजा भी मिलेगी |

• चैक धारक को चैक राशि और ब्याज प्राप्त होता है।

 

CONCLUSION

धारा 138 चैक धारकों को संरक्षण प्रदान करती है और चैक अनादरण को रोकने में मदद करती है। धारा 138 का दुरुपयोग न करें। केवल सही परिस्थितियों में ही शिकायत दर्ज करें। चैक बाउंस होने से बचने के लिए BANK ACOUNAT मे हमेशा पर्याप्त धनराशि सुनिश्चित करें।

 

 

 

 

 

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