प्रथम सुनवाई मे वाद का निपटारा कैसे होता हैं |

 

 यदि न्यायालय को वाद की पहली सुनवाई में यह प्रतीत हो कि पक्षकारों में विधि या तथ्य संबंधी कोई विवाद नहीं है तो न्यायालय तुरंत निर्णय सुना सकेगा।

जहां कहीं प्रतिवादियों में से किसी एक का वादी से कोई विवाद ना हो वह न्यायालय उसे प्रतिवादी के पक्ष में या विपक्ष में निर्णय सुना सकेगा।

जहां समन के वाद के अंतिम निपटारे हेतु निकाला जाता है लेकिन कोई भी पक्ष का साक्ष्य पेश न करें तब न्यायालय निर्णय सुना सकता है। 

लेकिन यदि न्यायालय ठीक समझे तो विवाधको की रचना अभिलेखन के पश्चात वाद को साक्ष्य प्रस्तुतीकरण हेतु स्थगित कर सकेगा। 

आदेश 15 :-

वाद को प्रथम सुनवाई में वाद का निपटारा करने का प्रावधान सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 15 में दिया गया है।

जहां पक्षकारों में कोई विवाद नहीं है  ( नियम 1 )

जहा वाद की प्रथम सुनवाई में यह प्रतीत होता है की विधि के या तथ्य के किसी प्रश्न पर पक्ष करो में विवाद नहीं है वहां न्यायालय तुरंत निर्णय सुना सकेगा। 

जहां कई प्रतिवादियों में से किसी एक का विवाद नहीं है ( नियम 2 )

जहां एक से अधिक प्रतिवादी है और प्रतिवादियों में से किसी एक का विधि के या तथ्य के किसी प्रश्न पर वादी से विवाद है वह न्यायालय ऐसे प्रतिवादी के पक्ष में या उसके विरुद्ध निर्णय तुरंत सुना सकेगा और वाद केवल प्रतिवादियों के विरुद्ध चलेगा। 

जहां पक्षकारों में विवाद है  ( नियम 3 )

(1) जहां पक्षकारों में विधि के या तथ्य की किसी प्रश्न पर विवाद है और न्यायालय विवाधक विरचित कर चुका है और ऐसे विवाधको पर पक्षकार तुरंत साक्ष्य दे सकते हैं वहां न्यायालय विवाधको का अवधारण कर सकेगा और निर्णय सुना सकेगा। 

परंतु –

जहां विवाधको के स्थिरीकरण  के लिए समन निकाला गया है वहां विवाधको की विरचना तब ही की जाएगी जब पक्षकार या उसका प्लीडर उपस्थित हो और उनमें से कोई आक्षेप न करता हो ।

(2) न्यायालय निश्चय के लिए साक्ष्य पर्याप्त न होने पर साक्ष्य पेश करने के लिए दिन नियत करेगा तत्पश्चात निर्णय देगा। 

साक्षी पेश करने में असफलता  ( नियम 4 )

जहां समन वाद के अंतिम निपटारे के लिए निकाला गया है और दोनों में से कोई पक्षकार साक्ष्य पेश करने में पर्याप्त हेतुक के बिना असफल रहता है जिस पर वह निर्भर करता है वहां न्यायालय –

  –     तुरंत ही निर्णय सुना सकेगा |

  –    या यदि वह ठीक समझता है तो विवाधको की विरचना और अभिलेखन के पश्चात वाद को ऐसे साक्ष्य पेश किए जाने के लिए स्थगित कर सकेगा जो ऐसे विवाधको पर उसके विनिश्चय के  लिए आवश्यक है। 

 

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