अस्थाई व्यादेश से अभिप्राय
किसी व्यक्ति को न्यायालय का ऐसा औपचारिक आदेश जो किसी बात को करने या न करने के लिए या किसी स्थिति को बनाए रखने के लिए दिया हो जब तक वाद का निपटारा ना हो जाए या अग्रिम आदेश ना आ जाए |
अस्थाई व्यादेश किन आधारों पर जारी हो सकता है
जब वाद में शपथ पत्र द्वारा अन्यथा साबित कर दें कि –
- विवाद ग्रस्त संपत्ति किसी पक्षकार द्वारा अंतरित करने, नुकसान पहुंचाने, दुर्व्ययन करने का खतरा है|
- प्रतिवादी अपने लेनदारो को कपट करने की दृष्टि से संपत्ति हटाने या व्य्यनित करने की धमकी देता है या आशय रखता है |
- प्रतिवादी वादी को विवादग्रस्त संपत्ति से बेकाबिज या बेदखल या संपत्ति संबंधी अन्य क्षति पहुंचाने की धमकी देता है तो न्यायालय अस्थाई व्यादेश जारी करेगा | [Rule (1) Order 39]
अस्थाई व्यादेश के उल्लंघन पर परिणाम
आदेश 39 नियम 1 व 2 के उल्लंघन पर –
संपत्ति कुर्क की जा सकती है और 3 माह से अनधिक अवधि का सिविल कारागार दिया जा सकता है |
[Rule 2(a) Order 39]
अस्थाई व्यादेश जारी करने से पूर्व नोटिस का दिया जाना
अस्थाई व्यादेश जारी करने से पूर्व नोटिस का दिया जाना जरूरी है किंतु मामला ऐसी प्रकृति का है यदि विलम्ब हुआ तो व्यादेश का उद्देश्य विफल हो जाएगा तो बिना नोटिस भी अस्थाई व्यादेश जारी हो सकता है|
Note :-
यदि बिना नोटिस के न्यायालय द्वारा अस्थाई व्यादेश जारी किया गया है तो न्यायालय प्रयास करेगा कि व्यादेश स्वीकृति की तारीख से 30 दिन के भीतर उसका अंतिम निपटारा कर दिया जाए | [Rule 3(a) Order 39]
अस्थाई व्यादेश का संशोधन या रद्दकरण
न्यायालय द्वारा निम्नलिखित परिस्थितियों में आदेश का संशोधन या रद्द करण किया जा सकता है
- अस्थाई व्यादेश के आवेदन से असंतुष्ट पक्ष कार के आवेदन पर,
- अस्थाई व्यादेश के आवेदन के शपथ पत्र में जानबूझकर गलत कथन किए जाने पर,
यदि व्यादेश बिना सुनवाई का अवसर प्रदान किए किया गया है तो जब तक न्याय हित में आवश्यक ना हो संशोधन या रद्दकरण नहीं होगा |
अस्थाई व्यादेश के अनुकरणीय सिद्धांत
- आवेदक को प्रथम दृष्टया मामला सिद्ध करना होगा |
- अगर अस्थाई व्यादेश जारी नहीं किया तो अपूरणीय क्षति होगी |
- सुविधा का संतुलन वादी के पक्ष में है |
अस्थाई व्यादेश के विरुद्ध अपील
आदेश 39, नियम 1 के अंतर्गत निर्गत किए गए अस्थाई व्यादेश के विरुद्ध अपील संहिता के आदेश 43, नियम 1 के अंतर्गत की जा सकती है |
[ ज्योतिष चंद्र बोरा बनाम बुरगोहैइन टी. कंपनी प्राधिकरण लिमिटेड A.I.R. 1993 गुवाहाटी, 89 ]
व्यादेश के अनुपालन हेतु न्यायालय को दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के अंतर्गत पुलिस की सहायता देने का अधिकार और क्षेत्र अधिकार प्राप्त है
[ चारूबाला देवनाथ बनाम निरंजन पाठक A.I.R.1993 कोलकाता 228 ]