लंबित वाद का सिद्धांत

Lis- pendes का अभिप्राय ऐसी कार्यवाही या वाद से है जिसके विषय में विवाद हो ।

Pendes से अभिप्राय है ऐसा वाद जो न्यायालय में लंबित हो ।


तब ऐसी अवस्था में वाद के पक्षकार वादग्रस्त संपत्ति को तीसरे पक्षकार को अंतरित नहीं कर सकते यह सिद्धांत बेलामी बनाम सेवायन के वाद में न्यायधीश क्रेन बर्थ द्वारा प्रतिपादित किया गया था।उनके अनुसार वाद के लंबित रहने के दौरान अगर संपत्ति अंतरण के अनुमति दी गई तो वाद का सफलतापूर्वक निपटारा असंभव होगा |

 

“बिशन सिंह बनाम खजान सिंह AIR 1958 SC 838”
इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने लंबित वाद के सिद्धांत को अपनाया ।

“राजेंद्र सिंह बनाम शांता सिंह AIR 1973 SC”

इस मामले मेंउच्चतम न्यायालय ने लंबित वाद के सिद्धांत के महत्वपूर्ण तत्वो को व्यक्त किया है ।

 

लंबित वाद के सिद्धांत को लागू करने की शर्तें :-

1. सक्षम न्यायालय में वाद या कार्यवाही लंबित हो।
2. ऐसा वाद्य कार्यवाही में किसी भी प्रकार की दुरभिसंधि ना हो ।
3. अचल संपत्ति का अधिकार प्रत्यक्षत और विशिष्टत विवादित हो ।
4. किसी अचल संपत्ति का अंतरण हो ।

 

लंबित वाद के सिद्धांत के अपवाद :-

1. अगर अंतरण ऐसे व्यक्ति ने किया है जो अंतरण के समय वाद का पक्षकार नहीं हो तब या सिद्धांत लागू नहीं होगा ।
2. चल संपत्ति के अंतरण पर यह सिद्धांत लागू नहीं होता है ।
3. यदि कोई संपत्ति अंतरण न्यायालय की अनुमति से किया जाता है तब भी ऐसे दांत लागू नहीं होगा ।
4. विबंध पर यह सिद्धांत लागू नहीं होता।

Examples :-

Problem :-

‘अ’ ने ‘ब’ से समझौता किया । ‘अ’, ‘ब’ के खिलाफ उस मकान की प्राप्ति का मुकदमा करें जो के कब्जे में है और इस बीच वे उस मकान को ₹10000 में द को बेच देगा दोनों इस राशि को आधा-आधा बांट लेंगे वह उस योजना को क्रियान्वित भी कर देते हैं। उन्हें यह विश्वास था कि धारा 52 संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882 उस अंतरण को अ की मर्जी पर शून्य घोषित कर दे अ उस मुकदमे की डिक्री प्राप्त कर लेता है क्या वह मकान को प्राप्ति का अधिकारी होगा यदि नहीं तो क्यों ?

Solution :-

यहां पक्षकार ‘अ’ और ‘ब’ के बीच समझौता दूरभिसंधि से किया गया है अतः ‘अ’ मकान प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा मकान ‘द’ के पास ही रहेगा ।

Problem :-

‘ब’, ‘अ’ का उत्तराधिकारी था | ‘अ’ ने किसी संपत्ति का विक्रय ‘स’ को कर दिया | ‘ब’ ने इस बयनामें को खारिज करने का मुकदमा चलाया वाद लंबित रहनेेे के दौरान ‘स’ ने संपत्ति द को अंतरित कर दी ‘ब’ ने ,स’ के खिलाफ मुकदमाा जारी रखा द को पक्षकार नहीं बनाया गया ‘द’ को ‘ब’ और ‘स’ के मुकदमेे की जानकारी नहींं थी ।’ब’ मुकदमा जीत गया । ‘अ’ द्वारा से को लिखा बयनामा खारिज कर दिया गया क्या ‘द’ हित प्रभावित होगा ?


solution


‘स’ का अंतरिती ‘द’ निर्णय से प्रभावित रहेगा चाहे उसे वाद की स्थिति का ज्ञान रहा हो या न रहा हो |

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