न्यायालय में जब भी दावा संस्तिथ किया जाता है तो विधि द्वारा निर्धारित शुल्क अदा करना होता है अगर प्राप्त न्याय शुल्क अदा ना करें तो न्यायालय निर्धारित समय अवधि के पश्चात वाद पत्र ना मंजूर कर सकता है |
अगर कोई व्यक्ति इस प्रकार की वित्तीय स्थिति में नहीं है कि वह निर्धारित न्याय शुल्क अदा कर सके तो मात्र नए शुल्क के आधार पर उसके वाद को न सुनना नैसर्गिक सिद्धांतों की अवहेलना होगी |
आदेश 33 में यह प्रावधान किया गया है कि निर्धन व्यक्ति द्वारा न्यायालय शुल्क बिना भी वाद दायर किया जा सकता है |
प्रश्न :- निर्धन कौन है ?
उत्तर :- ऐसा व्यक्ति जिसके पास पर्याप्त साधन न हो जिसके पास कुर्की से मुक्त संपत्ति और वाद की विषय वस्तु के अलावा हजार रुपए से अधिक की संपत्ति ना हो (नियम 1 स्पष्टीकरण)
प्रश्न :- अगर व्यक्ति न्यायालय शुल्क देने में असमर्थ है और वह अपनी असमर्थता का दावा करना चाहता है तो वह क्या करेगा ?
उत्तर :- निर्धनता का आवेदन न्यायालय में पेश करना होगा |
प्रश्न :-क्या निर्धनता के आवेदनका कोई प्रारूप निश्चित है ?
उत्तर :- कोई निश्चित और आबद्धकारी प्रारूप नहीं है लेकिन आवेदन में निम्न विवरण होने चाहिए
- वाद पत्र के विवरण
- चल अचल संपत्ति की सूची व अनुमानित मूल्य
- आदेश 6 नियम 14और नियम 15 के अंतर्गत हस्ताक्षर और सत्यापन
प्रश्न:- निर्धनता का आवेदन न्यायालय के सम्मुख पेश करें तो न्यायालय क्या प्रक्रिया अपनाएगा ?
उत्तर :-
- न्यायालय आवेदक के साधनों की जांच मुख्य लिपिकीय वर्गीय अधिकारी द्वारा करवाएगा और उसकी रिपोर्ट निष्कर्ष के रूप में स्वीकार कर सकेगा |
- आवेदक की परीक्षा दावे के गुनावगुण और आवेदक की संपत्ति के विषय में कर सकेगा |
- इसके उपरांत आवेदन निरस्त (नामंजूर) या स्वीकार कर सकेगा |
प्रश्न :- निर्धन व्यक्ति के रूप में वाद लाने का आवेदन न्यायालय कब ना मंजूर कर सकेगा |
उत्तर :-
- अगर आवेदक निर्धन व्यक्ति नहीं है ,
- आवेदक से ठीक दो माह के भीतर कपट पूर्वक संपत्ति व्यनित कर दी गई है,
- कथन से वाद कारण दर्शित नहीं होता है,
- वाद की विषय वस्तुपर कार के अंतर्गत अन्य व्यक्ति ने हित प्राप्त कर लिया है, या
- वाद विधि वर्जित है,
- अन्य व्यक्ति ने वाद के संदर्भ में वित्त पोषण का करार कर लिया है |
`( नियम 5 )
प्रश्न:- अगर न्यायालय आवेदन को ना मंजूर नहीं करता तो क्या प्रक्रिया अपनाएगा ?
उत्तर:- अगर न्यायालय आवेदन ना मंजूर नहीं करता है तो आवेदक को निर्धनता साबित करने के लिए साक्ष्य की दिनांक निश्चित करेगा इस दिनांक को दोनों पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत साक्ष की परीक्षा कर सकता है और साक्ष्य का पूर्ण अभिलेख तैयार करेगा पक्षकारों के तर्क सुनने के बाद निर्धन व्यक्ति के रूप में वाद लाने की अनुमति देगा (नियम 6 और नियम 7)
इसके उपरांत आवेदन को संख्याकित और रजिस्ट्रीकृत किया जाएगा और उसे वाद पत्र समझ जाएगा और वाद की तरह चलेगा किंतु न्यायालय शुल्क देने के दायित्वधीन नहीं होगा |
प्रश्न :- निर्धन व्यक्ति के रूप में वाद लाने की अनुज्ञा का प्रत्याहरण कब किया जा सकता है ?
उत्तर :-
प्रतिवादी या सरकारी पलीडर के आवेदन पर वादी को 7 दिन की लिखित सूचना के उपरांत :-
- वाद के दौरान यदि वादी तंग करने वाले या अनुचित आचरण का दोषी है
- ऐसा प्रतीत हो कि उसके पास पर्याप्त साधन है
- वादी की विषय वस्तु में किसी अन्य ने हित प्राप्त कर लिया है तो न्यायालय अनुज्ञा का प्रत्याहरण कर सकता है | (नियम 9)
प्रश्न :- अगर वादी वाद में सफल हो जाए तो क्या न्यायालय शुल्क देने को बाध्य है ?
उत्तर :- हाँ, न्यायालय उस रकम की गणना करेगा जो निर्धन के रूप मे अनुमति ना दी गई होती तो देय होती |
ऐसी रकम राज्य सरकार द्वारा वसूली योग्य हैं |
(नियम 10)
प्रश्न :- अगर वादी वाद में असफल हो जाए तो क्या न्यायालय शुल्क देने को बाध्य है ?
उत्तर :- हाँ, भविष्य में उसे मिलने वाली संपत्ति से न्यायालय शुल्क देने को बाध्य है |
( नियम 11)
प्रश्न :- अगर वादी की मृत्यु हो जाएऔर वाद उपशमित हो जाए तो क्या न्यायालय शुल्क वसूला जाएगा ?
उत्तर :- हां, ऐसी स्थिति में राज्य सरकार द्वारा वादी की संपत्ति में से वसूला जाएगा |
प्रश्न :- निर्धन व्यक्ति के लिए मुफ्त विधिक सेवा की व्यवस्था करने की केंद्रीय सरकार की शक्ति क्या है ?
उत्तर :- केंद्रीय सरकार उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें निर्धन के रूप में वाद लाने की अनुज्ञा दी गई है मुफ्त विधिक व्यवस्था हेतु ऐसे उपबंध बना सकेगी जो ठीक समझे |
(नियम 18)